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मकान देना है किसी को गिफ्ट में, यहां जानिए गिफ्ट डीड की जरुरी बातें
किसी को गिफ्ट (Gift) देना या लेना हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण अवसरों का हिस्सा है। हम किसी ना किसी मौके पर गिफ्ट का लेन-देन करते हैं। मगर इससे जुड़े कई तथ्य हैं जो गिफ्ट के मूल्य और उसकी प्रकृति पर निर्भर करते हैं। उसे कानूनी दायरे में लाते हैं और उसकी वैध्यता तय करते हैं। आइए, आज हम बात करते हैं किसी को मकान गिफ्ट करने के लिए तैयार होने वाले गिफ्ट डीड (Gift Deed) के बारे में।
भारतीय संस्कृति में उपहार (Gift Culture) का लेन-देन लगा ही रहता है। गिफ्ट से जुड़ा एक महत्वपूर्ण अंग है गिफ्ट डीड (Gift Deed) या उपहार दस्तावेज। गिफ्ट डीड सिर्फ तभी कानूनी रूप से वैध हो सकता है, जब इसे स्टाम्प ड्यूटी (Stamp Duty) और रजिस्ट्रेशन फी (Registration Fee) भुगतान करके नियमानुसार पंजीकृत किया गया हो।
गिफ्ट डीड पर कितना स्टाम्प ड्यूटी चुकाना पड़ता है?
गिफ्ट देना एक ऐसा व्यावहारिक कार्य है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से अपने स्वामित्व वाली संपत्ति के आंशिक या सभी अधिकारों को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करता है। एक मकान उपहार में देने पर इनकम टैक्स और स्टाम्प शुल्क देना पड़ता है। भारत में गिफ्ट डीड स्टाम्प ड्यूटी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग होती है और यह संपत्ति के मूल्य के अनुसार 2% से 7% के बीच हो सकती है।
गिफ्ट डीड के रजिस्ट्रेशन पर कुछ और शुल्क देना पड़ता है.
कौन सी संपत्ति उपहार में दी जा सकती है?
संपत्ति चल या अचल संपत्ति होनी चाहिए।संपत्ति हस्तांतरणीय होनी चाहिए।संपत्ति भविष्य की संपत्ति नहीं होनी चाहिए।संपत्ति मूर्त (स्पर्श करने योग्य) होनी चाहिए।
गिफ्ट देने की कानूनी जरूरतें क्या हैं?
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट यानी की संपत्ति हस्तांतरण कानून के तहत घर को गिफ्ट तौर पर देने के लिए एक नियमानुसार रजिस्टर्ड डॉक्युमेंट तैयार कराना पड़ता है, जिस पर उस शख्स के दस्तखत होते हैं, जो प्रॉपर्टी गिफ्ट में दे रहा है। इसके अलावा दस्तावेज में दो गवाहों का भी हस्ताक्षर कराना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि कोई व्यक्ति ऐसे ही किसी प्रॉपर्टी को उपहार में देने का फैसला नहीं कर सकता। इसके लिए उसे पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा, जैसा कि सेल डीड के मामले में होता है, ठीक उसी प्रकार गिफ्ट डीड को सब रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर कराना पड़ता है।
जब गिफ्ट डीड रजिस्ट्रेशन के लिए लाई जाती है तो उस पर स्टैंप ड्यूटी चुकाई गई है या नहीं यह रजिस्ट्रार सुनिश्चित करता है। स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क के तौर पर जो राशि चुकाई जाती है वह नियमित बिक्री के मामले में समान होती है। लेकिन अगर गिफ्ट कुछ खास रिश्तेदारों को दिया जा रहा हो तो गिफ्ट डीड पर कुछ राज्य स्टैंप ड्यूटी में छूट देते हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में किसी के पति या पत्नी, बच्चों, नाती-पोतों या मरने वाले बेटे की पत्नी को रिहायशी या कृषि संपत्ति के तोहफे पर चुकाई जाने वाली स्टैंप ड्यूटी की सीमा 200 रुपये है, चाहे संपत्ति का मूल्य कुछ भी हो।
गिफ्ट पर स्वामित्व तुरंत लागू हो जाता है?
अगर कोई व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी को बतौर गिफ्ट दे रहे हैं तो उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि जैसे ही गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड होगी, उस संपत्ति पर उसका स्वामित्व समाप्त हो जाएगा। यह कहा जाता है कि गिफ्ट डीड के प्रावधान जैसे बिक्री या त्याग तुरंत प्रभाव में आ जाते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि गिफ्ट डीड तभी लागू होगी, जब जरूरी स्टाम्प ड्यूटी चुका दी जाती है।
गिफ्ट डीड पर इनकम टैक्स भी लगता है?
एक साल में उपहारों की कीमत 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर एक साल में मिले उपहारों की कीमत 50 हजार रुपये से ज्यादा है तो इस पर कोई छूट नहीं मिलेगी और इनकम टैक्स लगाया जाएगा। हालांकि अगर दो करीबी रिश्तेदारों के बीच उपहार दिए जाते हैं तो आयकर नियम राहत देते हैं। नतीजन किसी संपत्ति को बतौर उपहार (चल या अचल) किसी खास रिश्तेदार को दिया जाता है तो इसे लेने वाले पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इन खास रिश्तेदारों में माता-पिता, पत्नी/पति, भाई-बहन, पति या पत्नी के भाई-बहन, किसी महिला-पुरुष या पति-पत्नी के वशंज आते हैं।
क्या आप अपनी गिफ्ट दी हुई प्रॉपर्टी को वापस ले सकते हैं?
आप अपना दिया हुआ गिफ्ट वापस ले सकते हैं, लेकिन इस पहलू को रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड में लिखवाना जरूरी है। ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के सेक्शन 126 के तहत सौदा रद्द करना तब तक संभव नहीं होगा, जब तक कि डोनर रजिस्टर्ड कॉन्ट्रैक्ट में इसका जिक्र नहीं करता है कि गिफ्ट वापस लेने का अधिकार उसके पास है। इसका मतलब यह है कि गिफ्ट डीड का मसौदा तैयार करते समय, प्रॉपर्टी गिफ्ट करने वाले को स्पष्ट तौर पर इस बात का जिक्र करना होगा कि गिफ्ट डीड लागू होने के बाद भी, जब भी चाहे गिफ्ट करने वाले के पास गिफ्ट डीड को रद्द करने और गिफ्ट वापस लेने का अधिकार होगा।
गिफ्ट डीड के बारे में और किन बातों का ध्यान रखना होता है?
रिश्तेदारों के अलावा अन्य लोगों से गिफ्ट:
भारतीय कानूनों के तहत, गैर-रिश्तेदारों के बीच गिफ्ट को कानूनी नहीं माना जाता है। यह धारणा इस आधार पर आधारित है कि मालिक किसी ऐसे व्यक्ति से विमर्श करेगा जो उन्हें नहीं जानता, ऐसे मामलों में, डीड को सेल डीड की तरह रजिस्टर कराना होगा।
गिफ्ट को वापस लेना:
गिफ्ट डीड को वापस लेने के लिए, देने वाले को यह साबित करना होगा कि उसे धोखा दिया गया था या डीड को निष्पादित करने के लिए मजबूर किया गया था। गिफ्ट में दी गई संपत्ति को वापस लेने का कोई और तरीका नहीं है।
शादी में मिले उपहार:
वसीयत या विरासत के जरिए शादी पर रिश्तेदारों से मिले उपहार पर टैक्स नहीं लगाया जाता है।
गिफ्ट वैलिडिटी:
एक गिफ्ट डीड तभी वैध है, जब सही तरीके से उसका निष्पादन किया गया है और ट्रांसफर करने वाला संपत्ति का कानूनी मालिक है। गिफ्ट डीड के वैध होने की एक और शर्त यह है कि अदालतों के किसी भी आदेश से इस तरह के ट्रांसफर नहीं रुके हों।
गिफ्ट डीड पर टैक्स देयता:
शादी, विरासत या किसी स्थानीय निकाय द्वारा अगर कोई शख्स गिफ्ट डीड हासिल करता है तो उसे टैक्स नहीं चुकाना होगा। यही बात फाउंडेशन, ट्रस्ट, एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स, मेडिकल इंस्टिट्यूशन्स इत्यादि पर लागू होती है।
गिफ्ट डीड को एग्जीक्यूट करने में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अगर आप किसी को चल संपत्ति दे रहे हैं तो गिफ्ट डीड को एग्जीक्यूट करना जरूरी नहीं है। गिफ्ट डीड में, यह बात जरूर डाल दें कि आपका गिफ्ट लेने वाले के प्रति स्नेह और लगाव है इसलिए आप प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर रहे हैं। बेहतर यह भी होगा कि आप यह बात जरूर डाल दें कि किस वजह से आप गिफ्ट डीड में गिफ्ट को दे रहे हैं। इसका कारण सामान्य कल्याण या व्यक्ति हो सकता है। गिफ्ट डीड के रजिस्ट्रेशन के वक्त आपको इस बात का भी सबूत दिखाना होगा कि गिफ्ट लेने वाले ने उसे स्वीकार कर लिया है।गिफ्ट डीड को एग्जीक्यूट करने से पहले अपने परिवार के सदस्यों की राय जरूर ले लें, उनके ध्यान में यह बात लानी जरूरी है ताकि आगे कानूनी झंझट ना हों।
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