Tuesday, January 11, 2022

धारा 41 और 41ए सीआरपीसी क्या है पूरी जानकारी

सीआरपीसी धारा 41 और 41 ए क्या है।

दोस्तों सीआरपीसी धारा 41 और 41 ए से जुड़ी सारी जानकारी देने का मैं पूरा प्रयास करूंगा जिससे कि आपको सीआरपीसी धारा 41 और 41 ए की सारी जानकारी प्राप्त हो जाए और आप इस धारा से जुड़ी सारी जानकारी से संतुष्ट हो सके।

दोस्तों यह सीआरपीसी ( दंड प्रक्रिया संहिता ) 41 और 41 ए के अनुसार पुलिस वारंट के बिना कब गिरफ्तार कर सकती है इसका प्रावधान सीआरपीसी की धारा 41 ए में किया गया है

आपको यह भी बताएंगे कि यह सीआरपीसी की धारा 41 कब नहीं लागू होगी और कब लागू होगी।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सीआरपीसी की धारा 41 कैसे और किस तरह अप्लाई की जा सकती है इससे जुड़ी सारी पहलुओं के बारे में मैं आपको विस्तार से समझाने का पूरा प्रयास करूंगा

सीआरपीसी धारा 41 ए के अनुसार पुलिस वारंट के बिना कब गिरफ्तार कर सकती है

दोस्तों सीआरपीसी की धारा 41 ए में यह प्रावधान है कि उन सभी मामलों में जहां किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा 41 ए के अंतर्गत होती है जैसे जब पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है धारा 41 के तहत यह आवश्यक नहीं है

उस व्यक्ति को जिसके खिलाफ एक उचित शिकायत की गई है या उस से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है या कोई उचित संदेह मौजूद है कि उसने यह अपराध किया है इस मामले में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है

सीआरपीसी धारा 41 के अंतर्गत पुलिस बिना वारंट के कब गिरफ्तार कर सकती है

  • व्यक्तियों की गिरफ्तारी

 

  • जो पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संगीन अपराध करता है

  • जिसके विरुद्ध युक्ति युक्त परिवाद किया गया है या विश्व में जानकारी प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष से कम की हो सकेगी या जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी चाहे वह जुर्माना सहित हो अथवा जुर्माना के बिना दंडनीय संगीन अपराध किया है यदि निम्नलिखित शर्तें पूरी कर दी जाती है अर्थात

  1. पुलिस अधिकारी के पास ऐसे परिवार जानकारी या संदेह के अपराध पर यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है

  2. पुलिस अधिकारी का यह समाधान हो गया है कि ऐसी गिरफ्तारी निम्नलिखित के लिए आवश्यक है

  • ऐसे व्यक्ति को कोई और अपराध करने की विवादित करने; या

  • अपराध के समुचित अन्वेषण के लिए; या

  • ऐसे व्यक्ति को ऐसे अपराध के साक्ष्य को गायब करने या ऐसे साक्ष्य के साथ किसी भी रीति में छेड़छाड़ करने से निर्वारित करने; या

  • उस व्यक्ति को किसी ऐसे व्यक्ति को जो मामले के तथ्यों से परिचित है उत्प्रेरित करने उसे धमकी देने या उससे वायदा करने से जिससे उसे न्यायालय या पुलिस अधिकारी को ऐसे तथ्यों को प्रकट करने के लिए मनाया जा सके निवार इत करने के लिए; या

  • जब तक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता न्यायालय में उसकी उपस्थिति जब भी अपेक्षित हो सुनिश्चित नहीं की जा सकती।

( तो पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी करते समय उसके कारणों की लिखा पीढ़ी करेगा )

( परंतु उन सभी मामलों में जहां इस अपराध के ऊपर बंधुओं के अधीन गिरफ्तारी आवश्यक नहीं है पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी न करने के कारणों को लेख बंद करेगा )

  1. जिस किसी के विरुद्ध विश्वसनीय इतनी लाभ प्राप्त हो चुकी है कि उसने कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष से अधिक की हो सकेगी चाहे वह जुर्माने सहित हो या अथवा संगे अपराध किया है और पुलिस अधिकारी के पास उस इत्तिला के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति ने उक्त अपराध किया है

  2. जो या तो संहिता के अधीन या राज्य सरकार के आदेश द्वारा अपराधी घोषित किया जा चुका है अथवा

  3. जिसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पाई जाती है जिसके चुराई हुई संपत्ति होने का उचित रूप में संदेह किया जा सकता है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित रूप से संदेह किया जा सकता है अथवा

  4. जब कोई पुलिस अधिकारी को उस समय बांदा पहुंचाता है याद जब वह अपना कर्तव्य कर रहे होते हैं या जो विधि पूर्ण अभिरक्षा से निकल भागा है या निकल भागने का प्रयत्न करता है अथवा

  5. जिस पर संघ के ससस्त्र बलों में से किसी से अभित्यजक होने का उचित संदेह है अथवा 

  6. जो भारत से बाहर किसी स्थान में ऐसे कार्य किए जाने से जो यदि भारत में किया गया होता तो अपराध के रूप में दंडनीय होता और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण संबंधी किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकड़े जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किए जाने का भागी है संबंध रह चुका है या जिसके विरूद्ध बारे में उचित परिवाद किया जा चुका है या विश्वसनीय इतना प्राप्त हो चुकी है या उचित संदेश विद्यमान है कि वह ऐसे संबंध रह चुका है अथवा

  7. जो छोड़ा गया सिद्ध दोस्त होते हुए धारा 356 के अपराध पांच के अधीन बनाए गए किसी नियम को भंग करता है अथवा

  8. जिसकी गिरफ्तारी के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक अध्यक्षा रात हो चुकी है परंतु यह जब तक की अध्यक्षा में उस व्यक्ति का जिसे गिरफ्तार किया जाना है और उस अपराध का या अन्य कारण का जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी है विनी देश है और उससे यह दर्शित होता है की अध्यक्षा जारी करने वाले अधिकारी द्वारा वारंट के बिना वह व्यक्ति विधि पूर्वक गिरफ्तार किया जा सकता था

सीआरपीसी धारा 41 के अंतर्गत नाम और निवास बताने से इनकार करने पर गिरफ्तारी

  1. जब ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभी निश्चित कर लिया जाता है तब वह प्रतिभा सहित या रहित या बंधपत्र निष्पादित करने पर छोड़ दिया जाएगा कि यदि उसको  मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होने की अपेक्षा की गई तो वह उसके समक्ष हाजिर होगा

  2. यदि गिरफ्तारी के समय से 24 घंटों के अंदर ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभीनिश्चित नहीं किया जा सकता है या वह बंद पत्र निष्पादित करने में या अपेक्षा किए जाने पर पर्याप्त प्रतिभू देने में असफलता रहता है तो वह अधिकारिता रखने वाले निकट मजिस्ट्रेट के पास तत्काल भेज दिया जाएगा। 

  3. जब कोई व्यक्ति संगीन अपराध का आरोप लगा होता है और और वह अपना नाम और निवास बताने से इंकार करता है या अपनी पहचान को छुपाता है और वह गलत पहचान बताता है तब वह गिरफ्तार किया जा सकता है कि उसकी पहचान हो अभीनिश्चित किया जा सके।

सीआरपीसी धारा 41 के पुलिस अधिकारी के समक्ष हाजिर होने की सूचना

पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों में जिनमें धारा 41 के उप बंधुओं के अधीन किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी अपेक्षित नहीं है उस व्यक्ति को जिस के विरुद्ध एक युक्ति युक्त परिवाद किया गया है या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है उसके समक्ष या ऐसे अन्य स्थान पर जो सूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए कौन से जात होने के लिए निर्देश देते हुए यह सूचना जारी करेगा 

  • जहां ऐसी सूचना किसी व्यक्ति को जारी की जाती है वहां उस व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह सूचना के निबंधों का अनुपालन करें

  • और जो व्यक्ति इस सूचना का जब तक अनुपालन करता रहेगा उस वक्त को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक पुलिस वालों की लेख बंद में पुलिस की राय यह हो कि उसे गिरफ्तार कर लेना चाहिए।

  • जहां ऐसा कोई व्यक्ति किसी ऐसी सूचना के निबंधों का पालन नहीं करता है या पालन करने में असफल रह जाता है वहां पुलिस अधिकारी उसे ऐसे आदेश का अनुपालन ना करने के जुर्म में गिरफ्तार कर सकते है

किसी महिला की गिरफ्तारी ( Arrest Of Women )

किसी भी स्थिति में महिला की गिरफ्तारी किसी महिला सिपाही के अनुपस्थिति में नही होनी चाहिए और सूर्यास्त के पश्चात और सूर्य के पूर्व किसी महिला की गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए

इस इस नियम को कठोरता से पालन करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य और बनाम क्रिश्चियन कम्युनिटी वेलफेयर काउंसिल ऑफ इंडिया स्पष्ट किया की उक्त नियमों का पालन होना चाहिए 

तथा उच्चतम न्यायालय ने यह भी निर्धारित किया है कि यदि अगर किसी महिला की गिरफ्तारी में महिला सिपाही की उपस्थिति संभव नहीं है या गिरफ्तारी मैं विलंब अन्वेषण के क्रम को बाधित कर सकता है  तो वह दिन अथवा रात किसी भी समय महिला सिपाही की उपस्थिति के बिना भी किसी महिला की गिरफ्तारी कर सकता है

सीआरपीसी धारा 41 के अंतर्गत गिरफ्तार अथवा पूछताछ के दौरान अधिवक्ता से मिलने का अधिकार

जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है और पुलिस द्वारा पूछताछ की जाती है तब गिरफ्तार व्यक्ति अन्वेषण के दौरान उपस्थित रहने के लिए अपनी पसंद के अधिवक्ता से मिलने का हकदार होगा किंतु संपूर्ण पूछताछ के दौरान नहीं मिलने दिया जाएगा।

सीआरपीसी धारा 41 के अंतर्गत पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारंट गिरफ्तार के नियम

  • ???? सीबीआई और रॉ को छोड़कर सभी पुलिस के अधिकारी यदि किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने जाते हैं तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय अपने नाम व पद का सही तथा स्पष्ट पहचान धारण करना अनिवार्य होता है

  • अगर गिरफ्तारी अपराध घटित होने के बाद की जा रही है तो पुलिस अधिकारी को सबसे पहले घटना का सामान तैयार करना होगा उसके बाद ही उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है

  • सीआरपीसी की धारा 41 के अनुसार पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को कम से कम एक साक्षी द्वारा जो आरोपी के परिवार का सदस्य है उसे अनु प्रमाणित करना अनिवार्य होगा

  • सीआरपीसी की धारा 41 के अनुसार सरकार को भारत के प्रत्येक जिलों में एक पुलिस नियंत्रण कक्ष स्थापित करना होगा नियंत्रण कक्ष के बाहर लगे नोटिस बोर्ड पर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का नाम उसके पति के साथ प्रदर्शित करना भी अनिवार्य होगा

सीआरपीसी धारा 41 के अंतर्गत बिना वारंट किए गए व्यक्ति के अधिकार क्या है 

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को अपने पसंद के वकील से मिलने का पूर्ण अधिकार होता है

 सीआरपीसी की धारा 50 के अनुसार किसी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को यह सूचित करेगा की उसके क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है 

सीआरपीसी की धारा 55 के अनुसार अभियुक्त की रक्षा करने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य हुआ कि वह अभियुक्त के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा की देखरेख करें

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 में भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने का मौलिक अधिकार दिया गया है 


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